हमारा देश सच में बदल रहा है !
हमारे देश को आज़ाद हुए लगभग 70 वर्ष हो गये हैं लेकिन वर्तमान की परिस्थितियों के अनुसार हमारे देश में दिन - दहाड़े किसी की हत्या कर दी जाती है या फिर किसी परिवार को जिंदा जला दिया जाता है। एक समय था कि हम सभी खुशहाल जीवन व्यतीत करते थे और आज हमें एक दूसरे से ही भयभीत होते रहते हैं । हमारे देश को आजादी दिलाने वाले स्वतंत्रता सेनानियों ने अपनी जान का बलिदान देकर गुलाम भारत को आजाद भारत बनाया, आज जो परिस्थिति है उसके लिए? कभी-कभी बहुत अफसोस होता है ,यह दुखद खबरें सुनकर। हमारे देश के बड़े-बड़े शहरों में ऐसी घटनाएं घटित होती हैं जैसे भारत के देशवासी एक दूसरे के दुश्मन हों।
आए दिन बलात्कार होते रहते हैं,कभी मारपीट तो कभी, जान से मार दिया जाता है। जातिवाद के बारे में तो सोचना ही बेकार है। पहले हम भारतीय थे लेकिन आज कोई हिंदू है तो कोई मुस्लिम। हमारे देश के प्रधानमंत्री कहते हैं, हमारा देश बदल रहा है, सच में हमारा देश बदल गया है। पहले हम जानवर थे फिर इंसान बने और फिर जानवर बनने जा रहे हैं ।
हाल ही में घटित घटना बुंदेलखंड के झांसी में पुष्पेंद्र यादव का एनकाउंटर कर दिया । पुष्पेंद्र यादव पर आरोप था कि मोठ के थाना अध्यक्ष धर्मेंद्र सिंह चौहान पर फायर करके पुष्पेंद्र यादव ने उनकी कार लूट ली थी। पुलिस ने उसी रात नाकेबंदी कर पुष्पेंद्र को गुरसराय थाना इलाके में फरीदाबाद के पास मुठभेड़ में मार गिराया था। उस समय पुष्पेंद्र के साथ दो लोग थे जो फरार हो चुके थे। पुष्पेंद्र यादव, विपिन ,रविंद्र के खिलाफ अलग-अलग मामले दर्ज किए गए जबकि इससे पहले पुष्पेंद्र यादव पर कोई मामला दर्ज नहीं होने का दावा किया गया था।
झांसी में एक और घटित घटना हुई ,गत मंगलवार को अग्निकांड में एक ही परिवार के चार लोगों की मौत हो गयी इस मामले ने तूल पकड़ लिया और पोस्टमार्टम के बाद लोगों ने शव को सड़क पर रखकर जाम लगा दिया। लोगों की मांग थी पुलिस इसे हत्या के मामले के रूप में दर्ज करें।
ऐसे हत्याकांड भारत के झांसी जैसे भारत के तमाम छोटे- छोटे शहरों में होते रहते हैं। इस पर पुलिस प्रशासन ना तो कोई कार्यवाही करता है और यदि कार्यवाही होती है तो लापरवाही बरकता है । ऐसी लापरवाही निर्मम हत्याओं को बढ़ावा देती हैं और अपराधियों का दबदबा बनाने का कार्य करती है । बेहतर है की नियम कानून सख्त रहें और जनता को ऐसा महसूस करे की वह सुरक्षित है ।
ऋषभ व्यास
- छात्र- बुंदेलखंड विश्वविद्यालय झांसी, पत्रकारिता विभाग