लड़ाई 21 दिनों की । राष्ट्र हित के लिए जनता सजग रहे ।
बृजेश पाठक जिला अभिमान पत्रकार
शिवपुरी मध्य प्रदेश मो : 94246 09137
कोरोना वायरस संकट को देखते हुए । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 21 दिनों के लिए पूरे देश के लिए लॉक डाउन का फैसला किया है । निसंदेह लॉक डाउन की आर्थिक कीमत देश को चुकानी पड़ेगी । लेकिन फिलहाल हर भारतीय की जान बचाना सबसे जरूरी है । बेशक कोरोना आपका एक विकराल चुनौती है लेकिन जैसा कि डब्ल्यूएचओ ने कहा कि भारत के पास इससे निपटने की क्षमता है मोदी के शब्दों में जरूरत बस जाहिर संयम और उदारता की है ।
पूरे देश की जनता को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने यह उम्मीद जताई कि जिस तरह महाभारत का युद्ध 18 दिन में जीत लिया गया था उसी तरह भारत कौराना के खिलाफ लड़ी जा रही लड़ाई भी 21 दिन में जीत लेगा । प्रधानमंत्री जी का यह व्यक्तित्व आशंकाओं से गिरे देश को संबल देने वाला है लेकिन देशवासी एक क्षण के लिए भी इसकी अनदेखी नहीं कर सकते कि यह वह कठिन लड़ाई है जिसमें हर किसी को अपनी अपनी तरह से सजग रहकर योगदान देना है । इससे बड़ा योगदान यही होगा कि लोग सामाजिक रूप से अलग-थलग रहे सेहत सफाई को लेकर सजगता बरतें और उन सब निर्देशों का पालन करें जो विभिन्न सरकारी एजेंसियों की ओर से दी जा रही है । संयम और अनुशासन का ही परिचय नहीं देना है बल्कि उन सबकी चिंता भी करनी होगी जो निर्धन और असहाय हैं । सरकार की मंशा है कि कोरोनावायरस दूसरे चरण से आगे ना बढ़ पाए जो लोग संक्रमित हैं वे भीड़ भाड़ में ना जाएं जिससे इसका और अधिक प्रसार ना हो सके इसके लिए संक्रमित लोगों को आइसोलेशन वार्ड में रखा जा रहा है वही जो लोग पूरी तरह से स्वास्थ्य हैं उन्हें घर पर ही रहने की सलाह दी है ताकि वे संक्रमित लोगों के संपर्क में आने से बच्चे खुद सुरक्षित रहें । यह बताना यहां जरूरी है कि अब हम सुरक्षित रहेंगे तभी हमारा परिवार और समाज सुरक्षित रहेगा इसलिए हमारा दायित्व है कि कोरोनावायरस का प्रसार ना हो इसके लिए कम से कम 21 दिन हम अपने घरों में रहे ।
शासन प्रशासन के साथ समाज के सक्षम वर्ग को लॉक डाउन के इन कठिन दिनों में सोशल डिस्ट्रेसिंग यानी सामाजिक अलगाव का सख्ती से पालन करते हुए वह सब कुछ करने के लिए तत्पर रहना चाहिए । जिससे निर्धन तबके की मदद हो सके ऐसा करके ही हम कोरोना वायरस के खिलाफ छेड़ी गई लड़ाई से आसानी से लड़ कर और जीत सकेंगे ।
शासन प्रशासन पर नहीं छोड़ सकते सब कुछ संकट के इस समय आखिर दिन रात एक किए हुए ।शासन प्रशासन के लोग भी हम जैसे ही हैं ।उन्हें जन जन के सहयोग की जरूरत तो है । लेकिन उसी रूप में जैसा वांछित है ।
कर्फ्यू जैसे हालात का सामना करना चूंकि लॉक डाउन का मतलब है । इसलिए यह चुनौती बढ़ गई है कि शहरों से लेकर गांवों तक आवश्यक खाद्यान्न सामग्री की आपूर्ति कैसे की जाए ?
ग्वालियर संभाग ही नहीं संपूर्ण मध्य प्रदेश के अधिकांश जिले व कस्बों में खाद्यान्न वस्तुओं के दाम बेलगाम हो चुके हैं इन दामों को नियंत्रण करने के लिए सजगता से समाजसेवी एवं प्रशासन के जुम्मे दार कर्तव्य परायण अधिकारियों को अपनी कार्यकुशलता का जनता को परिचय देना होगा ।अन्यथा ए लॉक डाउन की मार से ना गरीब मरेगा और ना पैसे वाला मरेगा । क्योंकि गरीब की चिंता सरकारों को है और अमीर के पास सब कुछ है । यदि सबसे ज्यादा परेशान होगा तो मध्यम वर्ग का व्यक्ति परेशान होगा । आज उसकी चिंता कौन कर रहा है । उसके पास क्या खाने की व्यवस्था है या नहीं इसकी सुध कौन लेगा । विचाराा अपनी व्यवस्था जैसे तैसे इस समय बना रहा है । और प्रधानमंत्री जी द्वारा देश हित में लिए गए निर्णय को मान रहा है । लेकिन उसको लूटने में मुनाफाखोर लगे हुए हैं ।
इसकी जो भी रूपरेखा बनी है । उस पर सही से अमल, पर तत्परता दिखाई जानी चाहिए ,ना तो जरूरी वस्तुओं की आपूर्ति थमे और ना ही उसके दाम बेलगाम हो पाए । शासन-प्रशासन और साथ ही जरूरी वस्तुओं की आपूर्ति करने वालों में किसी तरह के भ्रम की गुंजाइश नहीं रहनी चाहिए । जहां भी कुछ कमजोरियां, खामी , दिखे उसे तत्काल दूर करने की व्यवस्था भी बननी चाहिए । निसंदेह कुछ समस्याएं आएगी ही लेकिन उनका सामना और समाधान धैर्य के साथ करने का संकल्प कमजोर नहीं पड़ने देना चाहिए ।
साहस और संयम से ही कठिन लड़ाई जीती जाती है । इस लड़ाई का एक और मोर्चा कोरोना वायरस के मरीजों का उपचार करना और साथ ही संदिग्ध मरीजों का पता लगाकर उनका परीक्षण करना है । कोरोनावायरस के संदिग्ध मरीजों की जांच का सिलसिला और तेज किया जाना चाहिए । क्योंकि यही वह दूसरा उपाय है । जिससे हालात काबू में किए जा सकते हैं ।