त्रिकोणीय खींचतान में हॉफ्ती मध्य प्रदेश कांग्रेश
          त्रिकोणीय खींचतान में हांफती कांग्रेश

                       ------------------

    * बृजेश पाठक संपादक आजाद समाचार संकेत*

प्रजातंत्र में अंधभक्ति को स्थान नहीं ,की कहावत को चरितार्थ करते हुए, पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने हाल ही में एक बयान दिया जिस वयान ने मध्य प्रदेश की राजनीति में भूचाल खड़ा कर दिया है । सिंधिया ने एक आयोजन में कहा कि यदि मध्य प्रदेश सरकार वचन पत्र में दिए गए वायदे पूरा नहीं करती है । तो वे आम जन के साथ सड़क पर उतरेंगे । सिंधिया ने ऐसा क्या कह दिया कि कमलनाथ और उनके समर्थक लाल पीले होने लगे वर्तमान में सिंधिया सरकार में नहीं है । ना सांसद हैं । ना विधायक वह आमजन के साथ हैं, और होना भी चाहिए । सरकार वचन पत्र में दिए गए आश्वासानों या शब्दों को जमीन पर उतार ने केलिए बाध्य है । यदि वह इसमें फेल होती है । तो जनता उसे सड़कों पर खड़ा कर देगी । 

                   इसी बात को सिंधिया ने एक आम जन की आवाज का प्रतिनिधित्व करते हुए कही सही बात कहने पर मीडिया ने उन्हें बागी कहना प्रारंभ कर दिया । मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भी कहा सड़क पर उतर जाएं । कमलनाथ को तो कहना चाहिए था । कि बचन नहीं निभाएंगे तो हम भी सिंधिया जी के साथ आमजन के साथ सड़क पर उतरेंगे । वैसे ही कांग्रेश "कूल ड्रम "है  । एक झटका या झोंका  सहन करने की स्थिति में नहीं है । मध्यप्रदेश में कांग्रेश का एक घटक सिंधिया को किनारे करने पर तुला हुआ है । इसे पूरा प्रदेश या देश देख रहा है । नई सरकार बनने में सिंधिया के योगदान को नकारा नहीं जा सकता ।

            पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने भी कहा है ,कि मध्यप्रदेश में वचन पत्र के अनुसार काम किए जा रहे हैं और आगे भी किए जाएंगे । कमलनाथ को भी ऐसा ही बयान देना चाहिए क्योंकि वे सत्ता में है ।सिंधिया के बयान के बाद यह चर्चा जोरों से चल पड़ी है । की प्रियंका गांधी को मध्य प्रदेश से राज्यसभा में भेजा जाएगा । हालांकि प्रियंका गांधी ने  इंकार कर दिया है । इससे सिंधिया को मात देने का प्रयास बताया गया है । राज्यसभा के दरवाजे सिंधिया के लिए बंद किए जा रहे हैं । गुटीय राजनीति  के चलते राज्यसभा सदस्य के लिए 12 लोगों की लंबी कतार है । सिंधिया ने  कई अवसरों पर कहा है , कि वह पद के लिए राजनीति में नहीं है ।उनका उद्देश्य जनसेवा है । जनसेवा के लिए वह समर्पित हैं । जनता की समस्याओं के लिए संघर्ष उनका धर्म है । मध्य प्रदेश कांग्रेश में गुटबाजी सक्रिय है । गुटबाजी के कारण ही कांग्रेस का पराभव हुआ 15 वर्षों के वनवास के बाद सत्ता में इस पार्टी की वापसी हुई है और फिर गुटबाजी शुरू हो गई है इस समय मध्य प्रदेश कांग्रेश में 3 गुट सक्रिय हैं । कमलनाथ दिग्विजय सिंह और सिंधिया इस समय दिग्विजय सिंह और कमलनाथ गुट मिलकर सिंधिया समर्थकों या सिंधिया जी को दरकिनार करने में लगे हैं । आला कमान को चाहिए कि इस गुटबाजी को समाप्त करने की दिशा में पहल करें । अन्यथा सबो को मिलकर सड़क पर उतरने में कोई रोक नहीं सकता ।

       *  क्या कांग्रेश को चिंतन की आवश्यकता *

 कांग्रेश के दिग्गज नेताओं को स्मरण होना चाहिए की स्वर्गीय माधवराव सिंधिया की पहल पर ग्वालियर के डबरा में वर्ष 1993 में कांग्रेस का महा सम्मेलन हुआ था । जिसमें स्वर्गीय माधवराव सिंधिया की पहल पर कांग्रेश के सभी बड़े नेताओं ने एक मंच पर उपस्थित होकर एकता का उदाहरण पेश किया था और उसके बाद विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत हुई थी ।

     लहार में 10 जुलाई 2017 को कांग्रेस पार्टी ने एक किसान रैली में डबरा भावना की पुनरावृति की जहां दिग्विजय सिंह ज्योतिरादित्य सिंधिया और कमलनाथ ने 2018 के विधानसभा चुनाव में विजय हासिल करने के लिए एकजुटता दिखाई थी । इसी का परिणाम है कि कांग्रेस को सफलता मिली ।

            ज्योतिरादित्य सिंधिया डबरा एवं लहार भावना से ओतप्रोत हैं और वचन पत्र के क्रियान्वयन की बात कर रहे हैं जो पार्टी के हित में है ।

              विधानसभा चुनाव से पूर्व कांग्रेश पार्टी ने किसानों दलितों पिछड़ा वर्ग के सशक्तिकरण की बात रखकर प्रचार अभियान चलाया और सत्ता में स्थापित हुए । कमलनाथ को सत्ता और पार्टी दोनों की बागडोर मिली है । कमलनाथ एवं दिग्विजय सिंह राजनीतिक चाणक्य है । इनका क्या उद्देश्य है । इस  बारे में कुछ कहना जल्दबाजी होगी । हां इतना सत्य है की वर्तमान मार्च माह में सबके सामने कांग्रेश के दिग्गजों की हकीकत आ जाएगी । अभी तो ऐसा प्रतीत होता है मानो कांग्रेश  हांफ रही हो ।