राजनीतिक दल लगे आत्मचिंतन एवं प्रत्याशियों की तलाश में । जनता को है , समय का इंतजार ।
              *विधानसभा उप चुनाव*

 * राजनीतिक दल लगे आत्म चिंतन एवं प्रत्याशियों की खोज में  *

        * जनता को है समय का इंतजार *

➖ बृजेश पाठक संपादक आजाद समाचार ➖

  शिवपुरी । कांग्रेश पुनः मध्य प्रदेश में विधानसभा उपचुनाव  के माध्यम से सत्ता मे आने के लिए अपनी रणनीति के तहत  मजबूत ओर दमदार प्रत्याशीयो की खोज मे तेजी से लग गई है।

                कांग्रेस की कमल नाथ सरकार को सत्ता से बाहर का रास्ता दिखाने वाले भाजपा की सरकार को बनाने वाले और उसके ही दल के बागी छह पूर्व मंत्रियों सहित 22 पूर्व विधायकों के चुनाव क्षेत्रों में कांग्रेस मजबूत प्रत्याशियों को चुनाव लडाना चाहती है ओर हर हाल मे प्रत्याशी को जितना ही है, यह लक्ष्य बना लिया है।

        कमलनाथ प्रदेश अध्यक्ष कांग्रेश ,पूर्व मुख्यमंत्री मध्य प्रदेश प्रत्याशियों  के चैन  की प्रक्रिया में खुद लग गये है। और अपनी रणनीति को वह प्रदेश प्रभारी दीपक बावरिया को भी बता चुके है , ओर वह स्वम रणनीति को बताएंगे । कोर कमेटी  की बैठक में अपने कांग्रेश सहयोगियों को भी लॉक डाउन के बाद । 

कांग्रेसी से भाजपा में गए बागी प्रत्याशीयो को उनके विधानसभा श्रेत्र मे हराना ओर उनकी छवि गद्दार के रूप मे बनाने के लिए अभी से महोल बनाना भी काग्रेसीओ ने प्रारंभ कर दिया है। 

 प्रदेश की जौरा और आगर सीट पहले से रिक्त चल रही थी। यह दोनों ही सीटें तत्कालीन विधायक बनवारी लाल शर्मा ओर मनोहर ऊटवाला के निधन से रिक्त हैं । इस प्रकार इसके चलते अब 24 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होना है। खास बात यह है कि इनमें से पहले 23 पर कांग्रेस जीती थी। 

रिक्त विधानसभा श्रेत्र में से ग्वालियर चंबल क्षेत्र की 16 विधानसभा सीटें हैं। बुंदेलखंड एवं मध्यांचल के शेष आठ विधानसभा क्षेत्र हैं जहां पर उपचुनाव होना है ।

   राजनीतिक परिदृश्य अब प्रदेश में पूरी तरह से बदल चुका है।

 यही वजह है कि इन  विधानसभा क्षेत्रों में अब कांग्रेस को पार्टी से बागी हो चुके नेताओं के विरोध में चुनाव लडऩे के लिए जमीनी मजबूत  ताकतवर नेता का चयन करना होगा।

 

 प्रदेश में 15 सालों के इंतजार के बाद कांग्रेस को सत्ता मिली थी, लेकिन उसके आंतरिक कलह के चलते सरकार को बाहर होना पड़ा है।

 पार्टी के बागी हो चुके नेताओं द्वारा भाजपा में जाने के बाद अब कांग्रेस को उनके सामने उतारने के लिए जीतने बाला ताकतवर प्रत्याशी चाहिए ।

6 पूर्व मंत्रियों- तुलसी सिलावट सांवेर, प्रद्युम्न सिंह तोमर ग्वालियर, महेंद्र सिंह सिसोदिया बमोरी ,प्रभुराम चौधरी सांची, गोविंद सिंह राजपूत सुरखी और इमरती देवी डबरा के अलावा जसवंत जाटव करैरा, एंदल सिंह कंसाना सुमावली, बिसाहू लाल सिंह अनूपपुर, हरदीप सिंह डंग सुवासरा, राज्यवर्धन सिंह दत्तीगांव बदनावर, मुन्नालाल गोयल ग्वालियर पूर्व और रघुराज सिंह कंसाना मुरैना के खिलाफ कांग्रेस को मजबूत प्रत्याशी का चयन करना है ।

पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थन में 22 विधायकों ने इस्तीफे देकर कमलनाथ सरकार को हटा दिया ।इसके बाद प्रदेश की सत्ता बदल गई।

 

उपचुनाव में पार्टी कैसे जीते इसको लेकर अब तक पूर्व मुख्यमंत्री एवं प्रदेश अध्यक्ष कमल नाथ और प्रदेश प्रभारी दीपक बाबरिया सहित अन्य वरिष्ठ पदाधिकारियों के बीच शुरुआती चर्चा हो चुकी है। कोरोना आपदा के चलते फिलहाल अभी औपचारिक बैठक नहीं बुलाई गई है। हालांकि उच्च स्तर पर पदाधिकारियों और संबंधित जिलो से संगठन स्तर से फीडबैक लिया जा रहा ।

 इन विधानसभा श्रेत्र मे निवारत काग्रेंस के नेताओं ने  चुनाव लडने की मंशा भी पार्टी के सामने व्यक्त करना प्रारंभ कर दी है । जिन्हे विश्वास है कि उन्हे ही चुनाव मे प्रत्याशी बनाया जायेगा । उन्होंने अपनी तैयारियां प्रारंभ भी कर दी है ।

                     ग्वालियर संभाग के करैरा विधानसभा एवं पोहरी विधानसभा क्षेत्र शिवपुरी जिले मैं आता है ।इन दोनों विधानसभा क्षेत्रों में ग्वालियर राजघराने का अधिकांश वर्चस्व कायम रहा है । ज्योतिरादित्य सिंधिया के कहने पर कांग्रेस से बगावत कर अपना स्टीपा गत माह विधानसभा अध्यक्ष को सौंप दिया था । इस कारण से यह दोनों विधानसभा क्षेत्र विधायक हीन हो चुके हैं ।अब यहां पर पुनः  चुनाव होना है । सूत्रों पर विश्वास किया जाए तो पता चल रहा है की सत्तारूढ़ दल भाजपा उन्हीं विधायकों को अपना उम्मीदवार मान रही है । जो कांग्रेस की कमलनाथ सरकार में कांग्रेसी विधायक थे । 

           दूसरी ओर कांग्रेश जिताऊ ताकतवर जनता के हमदर्द प्रत्याशी की तलाश में   प्रर्पण पण से जुट गई है । करैरा विधानसभा से पूर्व विधायक शकुंतला खटीक ,मानसिंह जाटव के अलावा पूर्व बीएसपी के प्रत्याशी पर भी नजर दौड़ा रही है कांग्रेश । करैरा विधानसभा के मतदाताओं की बात करें तो अभी तक लगातार किसी भी उम्मीदवार को दूसरी बार विधायक नहीं चुना और ना ही कोई व्यक्ति करैरा विधानसभा क्षेत्र से मात्र पूर्व मंत्री स्वर्गी श्री हनुमंत से दाऊ को छोड़कर कोई व्यक्ति दोबारा करैरा विधानसभा क्षेत्र से विधायक (चुना गया) बना  । यदि यही मनसा यहां के मतदाताओं की रही तो कांग्रेस से भाजपा में गए पूर्व विधायक जसवंत जाटव की डगर कांटों से खाली नहीं है । बात करें पहोरी विधानसभा की तो पूर्व में हुए चुनाव में भाजपा तीसरे नंबर पर रही थी । इस विधानसभा में ब्राह्मण कुशवाह एवं धाकड़ समाज का वर्चस्व अधिक है। इसका उदाहरण यहां पर कई बार चरितार्थ भी हुआ है ।