प्रवासी मजदूर ,पशुओं की भांति ट्रक ,पिकअप ,आपे वाहन एवं मोटरसाइकिल ,साइकिल से एवं हजारों किलोमीटर पैदल चल कर आते अपने घर ।
* प्रशासन देखते हुए अनजान बना *
** प्रधानमंत्री से है मजदूरों की मांग हमें सुरक्षित घर पहुंचाएं **
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कोविड-19 कोरोना वायरस के प्रकोप से भय, ग्रसित लाखों करोड़ों मजदूर लॉक डाउन के लगातार जारी रहने के चलते ,प्रवासी मजदूर अपने स्थाई निवास की और ट्रक ,मेटाडोर ,आपे ,यूटिलिटी और मोटरसाइकिल ,साइकिल आदि वाहनों के अलावा पैदल लगातार जा रहा है ।
गर्मी ,बरसात एवं भूकंप की मार को झूेलता हुआ । भूखा ,प्यासा ,दिन-रात चलकर अपने मूल निवास आ रहा है । शासन, प्रशासन ,अधिकांश बयानबाजी में समय नष्ट कर खानापूर्ति में अपना समय गुजार रहे हैं ।
प्रवासी मजदूर भूखे प्यासे देश के चारों ओर से पैदल या मोटरसाइकिल ,साइकिल, ट्रक या मेटाडोर ,यूटिलिटी आपे आदि वाहनों से अपने घरों को जा रहे हैं । शासन प्रशासन मूकदर्शक बनकर देख रहा है ।
प्रधानमंत्री जी कोरोनावायरस देश में महा सांप बनकर आया है , इसके रोकथाम के लिए आपके द्वारा नित नए तौर-तरीके का प्रयोग किया जा रहा है । निश्चित ही आपकी सोच बहुत अच्छी है ।आपके द्वारा जो आदेश निर्देश दिए जा रहे हैं । उनका पालन भारत के अधिकांश लोग कर रहे हैं । परंतु आपके समकक्ष जनसेवक जनता की सेवा नहीं कर रहे हैं और प्रशासन माफियाओं से मिलकर भारत सरकार के खजाने में दिनदहाड़े हेराफेरी करने में व्यस्त है ।
केंद्र सरकार के द्वारा जनहित में गरीब प्रवासी मजदूरों के लिए जो योजनाएं संचालित की गई हैं । बे अधिकांश योजनाएं प्रशासन की आमदनी का साधन बन गई हैं ,गरीब प्रवासी मजदूर एवं मध्यम वर्ग के लोग परेशान हैं । और प्रधानमंत्री जी वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी आप तक वास्तविक जानकारी नहीं पहुंचाते हैं ।
प्रधानमंत्री जी प्रशासनि अधिकारि यों एवं जन सेवकों की अनदेखी के चलते कश्मीर से कन्याकुमारी यानी लद्दाख से तमिलनाडु तक और कच्छ गुजरात से मणिपुर यानी देश के सभी राष्ट्रीय राजमार्गों पर प्रवासी मजदूरों का जनसैलाब देखा जा सकता है ।राष्ट्रीय राजमार्गों पर प्रवासी मजदूरों के सैलाब को देखकर हर भारतवासी का ह्रदय कांप रहा है और केंद्र सरकार एवं राज्य सरकारों कि नियति एवं नीति पर आंसू बहा रहे हैं । प्रवासी मजदूर ₹500 किराए की जगह 5000 ₹700 किराए की जगह ₹7000 देकर आपे, ट्रकों से अपने घर वापस आ रहे हैं या पैदल चलकर अपनी जान जो खम मे डाल दिन रात वापस अपने घर रोते बिलखते और सरकार को कोसते हुए आ रहे हैं ।
मध्य प्रदेश के प्रवासी एक दर्जन से अधिक मजदूरों की ट्रेन हादसे में जीवन लीला समाप्त हो गई । सरकारें बयानबाजी में व्यस्त हैं । सरकार को चाहिए इस समय कोरोना योद्धाओं की तरह ट्रेन हादसे में मारे गए मजदूरों को भी कम से कम ₹2500000 की आर्थिक मदद करें । तथा गरीब प्रवासी मजदूर प्रधानमंत्री जी एवं राष्ट्रपति जी से मांग करते हैं कि हमें शीघ्र सुरक्षित घर पहुंचाएं ।
बृजेश पाठक प्रधान संपादक
साप्ताहिक आजाद समाचार संकेत
जिला शिवपुरी मध्य प्रदेश